Mother Teresa Bio in Hindi: भारत देश कि संस्कृति और लोगो के बिच संस्कार को होना यही भारत कि पुरी दुनिया भर मे पहचान है, बसुधैव कुटुम्बकम के मुल मंत्र के साथ जीने वाला ये देश अपनी संस्कृती के वजह से कई लोगो को भरात मे आने के बाद भारत का ही बना दिया। हम सभी ने मदर टेरेसा का नाम का सुना है और उनके किये गये कारनामे भी हम भारतीय के लिए प्रेरणादायक है, मदर टेरेसा उन मे से एक है जो भारत कि ना हो कर भी भारत देश कि हो गयी। हम मे से बहुत लोगो को इस बात का पता नही होगा कि मदर टेरेसा का जन्म आज के मेसेडोनिया मे हुआ था और इन्होने अपने मन से भारत देश कि नागरिकता ले ली थी।
आज कि इस आर्टिकल मए आप जानेंगे मदर टेरेसा के बारे मे
मदर टेरेसा जीवन परिचय | Mother Teresa Bio in Hindi
मदर टेरेसा का जन्म एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, उस्मान साम्राज्य (वर्त्तमान सोप्जे, मेसेडोनिया गणराज्य) मे हुआ था, इनका पहला नाम आन्येज़े गोंजा बोयाजियू है और मदर टेरेसा को रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाजा गया है।
मदर टेरेसा एक नन थी और साल 1949 मे भारत कि नागरिकता ले लिया था, साल 1950 मे मदर टेरेसा ने कोलकाता मे मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना की। इन्हें 1962 मे रेमन मैगसेसे अवार्ड, 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार और 1980 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया।
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मदर टेरेसा प्रारंभीक जीवन | Mother Teresa Bio in Hindi
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को स्कॉप्जे (अब मेसीडोनिया में) मे हुआ था, इनके पिता निकोला बोयाजू एक साधारण व्यवसायी थे और इनकी माता का नाम द्राना बोयाजू था। इससे पहले भी हमने आपको उपर बता दिया है मदर टेरेसा का वास्तविक नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था। अलबेनियन भाषा में गोंझा का मतलब फूल की कली होता है। मदर टेरेसा जब महज आठ साल की थीं तभी इनके पिता इनको छोड कर चले गये थे मतलब इनके पिता का निधन हो गया, जिसके बाद इनके लालन-पालन की सारी जिम्मेदारी इनकी माता द्राना बोयाजू के ऊपर आ गयी। मदर टेरेसा अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी थी।
इनके जन्म के समय इनकी बड़ी बहन की उम्र 7 साल और भाई की उम्र 2 साल थी, बाकी दो बच्चे बचपन में ही गुजर गए थे। जैसा कि हम सभी जानते है कि हर महान् आत्मा एक मेधावी छात्र भी होता है, मदर टेरेसा बचपन से ही एक सुन्दर, अध्ययनशील एवं परिश्रमी लड़की थी और पढ़ाई के अलावा इन्हे गाना गाना बेहद पसंद था। मदर टेरेसा और इनकी बहन पास के गिरजाघर मे मुख्य गायिकाएं थीं, ये बेहद ही अजीब बात है एक गायक बनने के जगह पर वो एक मानवता कि सेविका बनी।
ऐसा माना जाता है कि जब यह महज बारह साल की थीं तभी उन्हे इस बात का अनुभव हो गया था कि उनका अपना सारा जीवन मानव और मानवता कि सेवा में लगायेंगी और करीब 18 साल की उम्र मे इन्होंने ‘सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो’ में शामिल होने का फैसला ले लिया। तत्पश्चात यह आयरलैंड गयीं जहां इन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी। अंग्रेजी सीखना इसलिए जरुरी था क्योंकि ‘लोरेटो’ की सिस्टर्स इसी माध्यम में बच्चों को भारत में पढ़ाती थीं।
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साल 1981 मे अगनेस ने अपना नाम बदलकर टेरेसा रख लिया और आजीवन सेवा संकल्प ले लिया, इस बात का पता उनके लिखे गये वह 10 सितम्बर 1940 का दिन था जब मैं अपने वार्षिक अवकाश पर दार्जिलिंग जा रही थी। उसी समय मेरी अन्तरात्मा से आवाज़ उठी थी कि मुझे सब कुछ त्याग कर देना चाहिए और अपना जीवन ईश्वर एवं दरिद्र नारायण की सेवा कर के कंगाल तन को समर्पित कर देना चाहिए” से पता चलता है।
मदर टेरेसा दलितों एवं पीडितों की सेवा में किसी प्रकार की पक्षपाती नहीं है। उन्होनें सद्भाव बढाने के लिए संसार का दौरा किया है। उनकी मान्यता है कि ‘प्यार की भूख रोटी की भूख से कहीं बड़ी है।’ उनके मिशन से प्रेरणा लेकर संसार के विभिन्न भागों से स्वय्ं-सेवक भारत आये तन, मन, धन से गरीबों की सेवा में लग गये। मदर टेरेसा क कहना है कि सेवा का कार्य एक कठिन कार्य है और इसके लिए पूर्ण समर्थन की आवश्यकता है।
वही लोग इस कार्य को संपन्न कर सकते हैं जो प्यार एवं सांत्वना की वर्षा करें – भूखों को खिलायें, बेघर वालों को शरण दें, दम तोडने वाले बेबसों को प्यार से सहलायें, अपाहिजों को हर समय ह्रदय से लगाने के लिए तैयार रहें। मदर टेरेसा के जीवनकाल में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी का कार्य लगातार विस्तृत होता रहा और उनकी मृत्यु के समय तक यह 123 देशों में 610 मिशन नियंत्रित कर रही थीं।
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1970 तक वे गरीबों और असहायों के लिए अपने मानवीय कार्यों के लिए प्रसिद्द हो गयीं, माल्कोम मुगेरिज के कई वृत्तचित्र और पुस्तक जैसे समथिंग ब्यूटीफुल फॉर गॉड में इसका उल्लेख किया गया। 09 सितम्बर 2016 को वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि से विभूषित किया।