आदर्श विधार्थी

क्या होता है आदर्श विघार्थी का मतलब

आदर्श विघार्थी का मतलब

बढते समय के साथ कई चिजो का परिभाषा बदल गया या लोगो ने अपने आपको सिध्द करके बदल दिया है, किसी समय मे एक आदर्श विघार्थी का मतलब कुछ अलग हुआ करता था। हम सभी ने देश के महानपरुषो के बारे मे पडा होगा और उनके चरित्र को जानने कि कोशीश भी कि होगी, जितने भी महानपुरुष हुये है वो सभी बाल्य काल से ही शिक्षा को लेकर उत्तेजीत थे।

आदर्श विधार्थी

उन सभी मे एक बात सामान्य दिखी थी और वो थी लगभग सभी महापुरुषो ने बचपन मे गरीबी को अच्छे से देखा था। एक कहावत है कि लोगो को बच्चे के बारे मे बचपन मे ही पता चल जाता है, इसका मतलब है कि किसी भी बच्चे के बारे मे लोगो को उनके बचपन कि हरकत को देखकर पता चल जाता है कि ये अपने आगे जाकर जींदगी मे क्या कर सकता है या क्या करेगा।

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया है कि लोगो ने अपने काम से एक अलग स्तर तय किया है आदर्श विघार्थी का।

पहले के समय मे एक विघार्थी मे को आदर्श बनने के लिए उनके मे पांच लक्षण होना जरुरी होता था, ये पांच लक्षण के नाम संस्कृत मे जो कुछ इस प्रकार से है

काकचेष्टा-

काकचेष्टा का शाब्दीक अर्थ होता है कौआ कि तरह जानने कि इच्छा, एक विघार्थी मे जानने कि इच्छा प्रवृति होनी चाहिए।

वकोध्यानम्-

वकोध्यानम् का शाब्दीक अर्थ होता है बगुले कि तरह ध्यान लगाना, एक विघार्थी मे को किसी भी चिज मे वगुले कि तरह ध्यान लगाना चाहिए जैसे वगुला ध्यान लगाकर शिकार करता है।

श्वाननिद्रा-

शावननिद्रा का शाब्दीक अर्थ होता है कुत्ते कि निंद, एक विघार्थी मे को कुत्ते कि निंद होनी चाहिए जैसे कुते निंद मे छोटे से छोटे हरकत के बारे मे पता चल जाता है। 

अल्पहारी-

अल्पहारी का शाब्दीक अर्थ होता है कम भोजन करने वाला, एक विघार्थी को हमेशा खाना कम ही खाना चाहिए।

गृहत्यागी-

गृहत्यागी का शाब्दीक अर्थ होता है घर को छोडना, एक विघार्थी को पढाई के लिए अपने घर से बाहर रहना पडता है।

काक चेष्टा, वको ध्यानम्,

स्वान निद्रा तथैव च।

अल्पहारी, गृहत्यागी,

विघार्थी पंच लक्षणं।

ये पांच लक्षण एक विघार्थी को आदर्श विघार्थी बनाता है मतलब इस पांच लक्षण के होने के बाद ही एक आदर्श विघार्थी कहलाता है।

जबकी बढते समय के साथ इन चिजो से उपर उठकर हमे कुछ महापुरुष हुए है जिन्होने अपने मेहनत से इस परिभाषा मे बदलाव करते हुए एक नया स्तर स्थापित किया है। हम बात कर रहे है ए,पी,जे अब्दुल कलाम जी के बारे मे जो मिसाइल मैच के नाम से भी महशुर है, जिनका संघर्ष बचपन से ही शुरु हो गया था। कलाम साहब अपने आरंभीक शिक्षा को बरकरार रखने के लिए अखबार बेचा करते थे। कलाम साहब एक मध्यमवर्गीय से परिवार से आते थे और इनके पिताजी ना ज्यादा पढे-लिखे नही थे और नाही पैसे वाले थे। एक साधारण परिवार से उठकर मिसाइल मैन बनने तक कि कहानी आदर्श विघार्थी के परिभाषा को नया आयाम देता है।

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