स्वाहा का मतलब: हम सभी किसी किसी ना पुजा का पार्ट रह चुके है, हमारे आंखो के सामने कई पुजा हो चुका है। हमारे घर मे हमारे घरवाले ही पुजा करवाते है, पुजा करवाते वक्त पंडित जी एक शब्द का उच्चारण करते है और वो शब्द है स्वाहा। हम मे से कितने लोगो को इस बात का पता है की पंडित जी के द्वारा स्वाहा शब्द का उच्चारण करते है वो क्या है, कहां से आया है।
आज इस आर्टिकल मे आप जानेंगे कि स्वाहा शब्द कहां से आया है और इसका इतिहास क्या है।
स्वाहा शब्द कहां से आया है
अगर शब्द को जाने तो वास्तव मे स्वाहा अग्नि देव की पत्नी का नाम है और इस शब्द का उच्चारण भी तबही होता है, जब सामने अग्नि जल रही होती है। इसलिए हवन मे हर मंत्र के बाद स्वाहा शब्द का उच्चारण किया जाता है, अब आप स्वाहा और अग्नि का संबंध समझ ही गये होगे।
स्वाहा शब्द का मतलब क्या होता है | Swaha ka Matlab
स्वाहा का मतलब – सही रीति से पहुंचना, अगर दूसरे शब्दो मे कहे तो किसी जरुरी चिज को उसके चाहने वाले तक सुरक्षित पहुंचाना। हिंदु धर्म की दो श्रीमद्भागवत और शिवपुराण मे स्वाहा शब्द का वर्णन किया गया है। इसके अलावा ऋग्वेद, युजर्वेद आदि वैदिक ग्रंथो मे अग्नि की महत्ता को बारे अनेक सुक्तो की रचनाएं हुयी है।
इस बात को शायद हम सभी जानते है की पुजा करते वक्त मंत्र का जाप करते है और स्वाहा कहकर ही हवन साम्रगी भगवान को अर्पित करते है। हम मे से कितने लोगो इस बात का पता है की कोई भी पुजा या फिर यज्ञ तब तक सफल नही होता है, जब तक हवन को देवता ग्रहण ना कर ले। देवता हवन तभी ग्रहण करते है, जबतक अग्नि के द्वारा स्वाहा के माध्यम से अर्पण किया जाये।
पौराणिक कथा
जैसा कि हम सभी इस बात को जानते है कि किसी भी चिज के होने के पिछे कोई कारण होता है, ठीक इसी तरह से पौराणिक कथाओं के अनुसार। स्वाहा दक्ष प्रजापति की पुत्री थी, जिनका अग्निदेव के साथ विवाह हुआ था। अग्निदेव अपनी पत्नी स्वाहा के माध्यम से ही हविष्य ग्रहण करते है तथा उनके माध्यम से यही हविष्य आह्वान किये गये देवता को प्राप्त होता है।