क्या है बेटि बचाओ बेटि पढाओ योजना

जैसा कि हम सभी जानते है कि भारत देश अलग-अलग संस्कृतियो से मिलकर बना है, अलग-अलग विविधताओं से भरा ये देश भारत जहां अलग-अलग जाति और अलग-अलग धर्म के लोग रहते है। हर किसी का अपना अपना सोच है और हर कोई अपने तरीके से रहता है। भारत देश मे जहां एक से बढकर एक नारी हुयी जिन्होने बताया और दुनिया के सामने एक उदाहरण बनी कि नारी किस चिज का नाम है। अलग-अलग लोग अलग-अलग जगह से आकर भारत देश के प्रेरणा बन गयी, रानी लक्ष्मी बाई, भीकाजी कामा, सरोजिनी नायडु और एनि बेसेंट जैसी महिलाओं ने अंग्रेजो को बताया भारत मे पुरुष ही वीर नही महिलाएं भी वीरांगनाएं होती है।

आज के भारत कि बात करें तो कई ऐसी महिलाएं है जिन्होने आज के समय मे खुद को साबित कर देश कि बेटियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी है। आज के भारत मे पहले से ज्यादा लडकीयों को कैद मे रखा जाता है, आज के समय मे महिलाओं का सम्मान तो होता है लेकिन महिलाओं को चार दिवारी के बाहर आने पर सक्त मनाही है। आज के समय मे देश के हर काम को महिलाएं भी पुरी तरीके से कर सकति है लेकिन फिर भी महिलाओं को कम आंका जाता है। घर से लेकर बॉर्डर तक, ऑफिस से लेकर क्रिकेट के मैदान तक हर जगह देश कि बेटियां आगे है।

आज भी देश मे लडकीयों कि शादी समय से पहले हो जाता है, लडकीयों कि चयन आज भी लोगो के लिए मायने नही रखता है। देश के परिवार अपनी बेटियों को लेकर काफी रक्षात्मक रहते है क्योकि देश के जनता मे तो बेटि को छुट देने का मतलब ऐसा होता मानो ने क्राइम कर दिया हो, ये चिजे समाज के खिलाफ वाली बात हो जाती है। लोगो को लगता है अब इनकि बेटि बिगड जायेगी और एक छोटी सी गलती पर लोगो को उसके परिवार को बदनाम करने का मौका मिल जाता है। आज के समय मे भारत देश मे बेटि पालने का मतलब होता है, जैसे समाज मे आपके जैसा महापुरुष कोई नही है और अंदर से इतंजार करेंगे आपके गलती का फिर रंग दिखा देंगे।

कन्या भ्रुण हत्या कानुन

आज से कुछ समय पहले तक लोग अपनी बेटियों को मरवा दिया करते थे, हां इसके पिछे भी कहानी है। लोगो के लिए बेटि पालना ऐसा हो जाता है मानो बेटि नही बोझ हो सरल शब्दो मे कहे तो दूसरे कि अमानत को एक उम्र तक आप पाल रहे हो क्योकि एक उम्र के बाद लडकीयो कि शादि हो जाती है। इस बिच मे लडकी को पालने मे खर्च और पढाने मे खर्च ये सारे खर्च लोगो को फालतु लगते है, इसलिए देश मे एक समय पर लडकीयों को मार दिया जाता था ताकी लोग इस झंझट से दुर रहे। जींदगी मे उनपर ज्यादा बोझ ना आये और जींदगी थोडि शांती से ही निकल जाये, जिसके बाद बच्चे के बारे मे जानने पर रोक लगा दि गयी थी क्योकि लोग बच्चे के बारे मे पहले से ही जानकर उन्हे मरवा देते थे। इसे भारतीय कानुन मे कन्या भ्रुण हत्या कहते है जो एक कानुनी तौर पर जुर्म है, जिसपर लोगो को जेल कि सजा भी हो सकती है। भारत मे कन्या भ्रुण हत्या आमतौर पर परिवार के दबाव मे आकर किया जाता है, परिवार मे ससुराल पक्ष लोगो के दबाव पर ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है।

इसके पिछे लोगो के पास एक कहानी है इनका कहना है कि बेटे परिवार का वंश बढाते है इसलिए बेटे पहले है लेकिन ये भुल जाते है कि बेटे को जन्म किसी बेटि ही देती है।

अब बात करेंगे कुछ जमीनि हकिकत के बारे मे जो एक लडकी को उन दिक्कतो से गुजरना पडता है और ये चिजे उनके लिए बहुत ही जरुरी है। एक लडकी से लेकर शिक्षित औरत बनने तक के सफर के बारे मे हम बात करेंगे।

1.लैंगिग भेदभाव- ये पहले के मुकाबले अब तो बिलकुल ही कम हो गया है कि लोग अपने संतान के बेटि के जगह बेटा चाहते थे, लोगो का संतान के तौर पर पहली पसंद है बेटा हुआ करता था।

2.कन्या भ्रुण हत्या- इसके बारे मे हमने उपर भी बताया है कि लोग इतनी हिम्मत ही नही जुटा पाते थे कि वो एक बेटि को पाल सकें और वो उसे एक अच्छी परवरिश दे सकें। बेटि को जगह पर बेटा के लिए लोग इससे भी ज्यादा कर सकते है। लोगो मे इसकि समझ जब तक आयी देश कि कई बेटियां मर चुकि थी कई लोगो ने ऐसा कई बार कर चुके थे।

3.शिक्षा कि कमी- आज भी देश के ऐसे बहुत जगह जहां पर लोग आज भी अनपढ है, जहां के लोग अपनी बेटि को पढाने से ज्यादा शादि करने के बारे मे सोचते है। उस जगह पर लोग अपने बेटि को पढाना फिजुलखर्चि है, क्योकि इन्हे पढाने से कोई फायदा नही है कुछ साल मे शादि कर दि जायेगी और फिर घर संभालेगी, परिवार संभालेगी।

4.भ्रष्ट मानसिकता- लोगो मे सोच कि कमी या जिनकी सोच ही इन्ही चिजो मे सिमट रह गयी है ऐसे लोग समाज के हर नियम कानुन को तय करते है, बेटी अकेले बाहर नही जा सकती है, लडकीयो के साथ लडको कका र्दुव्यवहार, छोटे कपडो को दोष देने वाले इंसान ये है भ्रष्ट मानसिकता वाले। जिनकी सोच इन्ही चिजो मे सिमट कर रह गयी। देश मे लडकीयो के साथ गलत होना, हर जगह पर लडकीयो को प्रताडित करना, लडकीयो को छेडना, लडकीयो के बारे मे गलत अफवाह फैलाना ये सारे भी भ्रष्ट मानसिकता के लोग जो लडकीयो को बस एक खेलने कि चिज मानते है।

5.दहेज प्रथा- दहेज-प्रथा उन बाप के लिए जो अपनी बेटी को पाल-पोष कर बडा करते है और जब बेटी कि शादि कि उम्र होती है तो शादि के लिए लोगो के द्वारा मांगे गये दहेज से बाप अपने बेटि को दोष देता है। ऐसे ही कुछ कारण जहां एक परिवार एक बेटि पालने के जगह पर एक बेटा पगालना पसंद करते है ताकी कम से कम दहेज तो आयेगा घर मे। लोगो को बेटि भी चाहिए हदेज भी चाहिए ऐसा लगता है जैसे बेटि को लाइफ टाइम रखने के लिए किराया चाहिए। बेटि के बाप के लिए दहेज प्रथा एक श्राप कि तरह है और मांगने वाले भिखारी।

देश मे बदलाव तो आयी है लेकिन उम्मीद के मुताबिक नही आय़ी है, देश मे किसी समय पर लडकीयो कि शादि बाल्य काल मे हो जाती थी और पत्ति के मरने के बाद लडकी को भई पत्ति के चिता के साथ जलना पडता था लेकिन ये सब एक जमाने पहले होता था। जैसे समय बढा और लोगो मे समझ आया कि लडकी क्या चिज है तबतक दिल्ली जैसे शहर मे दिल वालो के जगह पर रेपिस्टों कि शहर बन गयी। स्वामी विवेकानंद जी का कहना है कि जिस देश मे महिलाओं का सम्मान नही होता, वह देश कभी भी प्रगति नही कर सकता है।

करीब साल 2015 मे देश के प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटि बचाओ बेटि पढाओ योजना लेकर जिससे देश भर के बेटि को पढने और बेटि को बचाने कि अपिल कि जा रही है। नाम का मतलब तो आपलोग योजना के नाम से ही समझ गये होगें, इस योजना के तहत देश के बेटियो को एक बेहतर शिक्षा प्रदान कि जायेगी क्योकि अगर घर कि महिला ही पढी-लिखी नही होगी तो पुरा परिवार ही अनपढ रह जायेगा और ये बात बिलकुल ही सही है।

बेटि बचाओ बेटि पढाओ योजना है क्या

इस योजना को साल 2015 मे हरियाणा मे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस योजना कि शुरुआत कि थी। हरियाणा राज्य मे 1000 लडको पर मात्र 775 लडकीयां है, ऐसे मे राज्य का लिंगानुपात पुरी तरह से बिगडा हुआ है और ऐसे मे इस योजना के देश के 100 जिलो मे प्रभावि रुप से लागू किया गया।

बेटि बचाओ बेटि पढाओ योजना का लक्ष्य

इस योजना से सरकार देश के बेटियो शिक्षित सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने कि कोशीश कर रही है, देश कि बेटियां पढी लिखी हो तो घर को सही दिशा मे लेकर जाती है और अपने भविष्य को भी बेहतर करने के बारे मे सोचति है। इस योजना एख और लक्ष्य है और वो है देश मे कन्या भ्रुण हत्या को रोकना, जो सदियो से चलता आ रहा है अब बंद होगा।

इस योजना को लाने के पिछे देश के सरकार कि काफी बडी सोच है क्योकि सरकार देश के खोखले समाज को उसका आइना दिखाना चाहति है। देश मे पिछले कुछ समय से प्रति 1000 लडको पर साल 1991 मे 945 लडकीयां, साल 2001 मे 927 लडकीयां और साल 2011 मे 918 लडकीयां है। दिन ब दिन इस संख्या मे अंतर बढता जा रहा है, लिंगानुपात के काफी अंतर बनता जा रहा है।

 

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