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कब मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस

राष्ट्रीय बालिका दिवस: जब से केंद्र मे भाजपा सरकार आयी है भारत के कैलेंडर मे नये-नये तारीख जुडते जा रहे है, जैसे मे 2 अक्टुबर स्वच्छ भारत अभीयान, 21 जुन योगा दिवस लेकिन कांग्रेस पार्टी ने अपने राज मे कुछ खास तो नही किया 24 जनवरी को बालिका दिवस बनाने के अलावा। साल 2008 मे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस कि शुरुआत कि थी और अगर सरकार से उद्देश्य के बारे मे बात करें तो सरकार लडकियो को भी समान अधिकार देने कि बात कर रही थी। सरकार कि सोच तो सही है और काबिले तारीफ भी क्योकि अगर इससे लडकियो को समान अधिकार मिल जाता है तो बहुत ही बढिया है। 24 जनवरी ही सरकार ने क्यो चुना आप मे से कोई जानता है नही तो मै बता देता हुं क्योकि पूर्व मुख्यमंत्री इंदिरा गांधी जी ने पहली बार प्रधानमंत्री बनते हुए आज ही के दिन शपथ ग्रहण किया था।

राष्ट्रीय बालिका दिवस का मतलब है महिलाओं और लडकियो का दिन, सबसे पहली बात तो महिलाओं के काम के काम अनुसार एक दिन नही पुरा साल होता है। भारत देश मे महिलाओं को अभी भी अधिकार के लिए किसी दिवस कि जरुरत है, साल 2005 मे सुप्रीम कोर्ट ने ये बात साफ कर दिया था लडकियो का भी उतना ही अधिकार एक लडके का है या होता है। भारत देश मे लडकियो को आजादी दे तो दि जाये लेकिन उनपर एक जो परिवार कि इज्जत को बोझ होता है ना ये बात इन्हे औरो से अलग बनाती है। भारत देश मे लडकि घर कि इज्जत कि होती है, ऐसे मे कभी भी लडकि का उठाया एक गलत कदम उसके परिवार के लिए नासुर बन जाता है। भारत देश मे लडकियो को समान अधिकार के नाम पर शायद सिर्फ बात संपत्ति को ही गिना जाता है, कभी कोई लडकि से नही पुछता है कि वो क्या चाहति है क्योकि उन्हे पता होता है लडकि ने आजादी मांग लि देना महंगा पड जायेगा।

भारत देश मे ही महिलायें सिर्फ अपने हक के लिए लड रही है, भारत को छोडकर दुनिया दूसरे कौनो मे देखे तो पता चलेगा महिलाएं वहां पर सरकार चला रही है और काफी प्रभावि भी है वो महिलायें। न्युजीलैंड देश के प्रधानमंत्री जेसिंगा अर्डन इस माहमारी के कहर से ना सिर्फ अपने देश को बचा बल्कि लोगो के प्रेरणा का स्रोत नही हुयी है। बढते समय के साथ लडकियो मे और महिलाओं मे भी एक काबिलियत बढती गयी है और इन्हे अपनी काबिलियत दिखाने का पुरा अधिकार है। बात काबिलीयत कि करें तो आज के समय मे देश कि हर लडकि और हर महिला खुद पैरो पर खडी हो सकती है, क्रिकेट के मैदान से लेकर घर मे खाना बनाने तक, देश के बॉर्डर से लेकर टि.वी तक हर जगह लडकियो का बोलबाला है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्य

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सबसे पहले तो काम बहुत ही नेक किया गया है भारत सरकार के तरफ से, इसके बाद भारत सरकार चाहति है कि लोगो के बिच इस बात को लेकर जागरुकता फैलाया जाये। इसके साथ यह भी सुनिश्चित किया जाये कि हर लडकि को समान मानवीय अधिकार मिलना चाहिए, लैंगिक समानता को लेकर भी लोगो को जागरुक करना है। बलिकाओं कि समस्या का समाधान हो औऱ एक महिला को एक समाज मे जिन असमानताओं का सामना करना पडता है, उन सभी से छुटकारा मिले।

देश कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए और आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार एक के बाद एक योजना लेकर आ रही है, जिससे देश कि महिलाओं को कुछ करने और कुछ कामने के लिए एक मौका मिल सके। आज का समय जो महिलाओं के मुफिद भी माना जाता है और नही भी माना जाता है, जब से केंद्र मे भाजपा सरकार आयी है तबसे केंद्र सरकार देश कि जनाता के लिए कोई न कोई योजना लेकर आ रही है जिससे देश के जनता को एक बेहतर जींदगी जीने का मौका मिल सके है और एक बेहतर तरीके से जीवन-यापण कर सके।

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