गुरु पूर्णिमा का मतलब अगर सही मायनो मे तो कहा जा सकता है गुरु पूर्णिमा को भारतीय संस्कृति का शिक्षक दिवस कह सकते है क्योकि हमारे भारत देश या भारतीय संस्कृति मे टिचर नही होते है गुरु होते है या होते थे। भारतीय संस्कृति मे गुरु को भगवान के बराबर को दर्जा दिया गया है और गुरु को एक पथप्रर्दशक माना जाता है। एक गुरु ही आने वाले कल को बेहतर बनाने के लिए अपने छात्रो मे निंव आज से ही डालने लगते है, कहते आज के बच्चे आने वाले कल का भविष्य होते है और ऐसे मे एक बच्चे कल के तैयार करना गुरु का धर्म और कर्म दोनो होता है।
हम अपने भारतीय संस्कृति को भुलकर लोगो के साथ आगे बढ रहे है और अपनी चिजो को भुलते जा रहे है, आज के समय मे भारत के शायद ही किसी स्कुल मे गुरु पूर्णिमा मनाया जाता होगा हरेक जगह पर शिक्षक दिवस ही मनाया जाता है। हमारे भारतीय संस्कृति बहुत से गुरु हुये जिनेहोने दुनिया को एक से बढकर एक पराक्रमी, एक से बढकर एक योध्दा और एक से बढकर एक विद्वान दिया है, जैसे मे त्रेता युग मे महर्षि विश्वामित्र से ही भगवान राम ने शिक्षा प्रदान कि थी द्वापर युग मे भगवान श्रीकृष्ण को गुरु सांदीपनि ने शिक्षा दिया था और चाणक्य जैसे गुरु। अब जब गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति को दर्शाति है तो इसके पिछे तर्क का होना भी जरुरी है।
आषाढ़ मास मे आने वाले पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से ही जाना जाता है और कहते है कि इस दिन लोगो को अपने गुरु का स्मरण करना चाहिए। इस दिन गुरु पूजा का विधान है और गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते है। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु चरणों मे उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
हम मे से काफी लोगो ने महाभारत के बारे मे थोडा-थोडा हर जगह से सुना होगा और कई लोगो ने महाभारत देखा भी होगा लेकिन आप मे से बहुत ही कम लोगो को इस बात की जानकारी होगी कि महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी है। महर्षि वेदव्यास ने महाभारत के अलावा के चार वेद( ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद) के रचना कि है, महर्षि वेदव्यास संस्कृत प्रकांड विद्वान माने जाते है और वेदो को लिखने पर न्हे वेदव्यास के उपनाम से जाने जाना लगा। वेदव्यास जी का असली नाम कृष्ण द्वैपायन है और आषाढ़ मास मे आने वाले पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था।
जैसा कि हमने आपके उपर बताया कि गुरु का मतलब होता पथप्रर्दशक होता है, शास्त्रो के मुताबिक गुरु दो अलग शब्दो को मिलकार बना है, गु जिसका मतलब होता अंधकार और रु का अर्थ है उसका निरोधक और गुरु का मतलब होता है अंधाकर से से प्रकाश कि और लेकर जाने वाला। गुरु पूर्णिमा के दिन से ही वर्षा ऋतु कि शुरुआत होती है, भारत देश के उत्तर राज्यो मे इस दिन गंगा मे स्नान करने प्रावधान है।