ग्लोबल वार्मिंग

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) क्या है

ग्लोबल वार्मिंग के नाम को सुनकर समझ मे आ जाता है कि बात दुनिया कि हो रही है और साथ मे दुनिया के उपर मंडरा रहे खतरे कि। ग्लोबल वार्मिंग के बारे मे हमे दुसरे दिन कुछ न कुछ खबर सुनने के लिए मिल जाता है। नाम से ही ऐसा लगता है जैसे मानो ग्लोबल वार्मिंग किसी खतरे का नाम है, ग्लोबल वार्मिंग दिन ब दिन बढती जा रही है।

ग्लोबल वार्मिंग

अब लोग कहेंगे कि जब बढ रही है तो सही ही होगा लेकिन नही ऐसा कुछ नही है ग्लोबल वार्मिंग का बढना मानो खतरा का बढना। ग्लोबल वार्मिंग का तापमान पृथ्वी के अलावा वायुमंडल मे भी काफी हद तक बढा हुआ है। पिछले 100 साल मे लगातार रुप से औसतन 0.75 डिग्री सेल्सियस तापमान बढता जा रहा है, जो की एक खतरे कि निशानी है।

आज इस आर्टिकल मे आप जानेंगे ग्लोबल वार्मिंग के बारे मे की किसे कहते है ग्लोबल वार्मिंग, ग्लोबल वार्मिंग का कारण, ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव और ग्लोबल वार्मिंग से बचने के उपाय  

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) किसे कहते है

इसे समझने के लिए हमे इस तरह से समझना होगा वायुमंडल मे बहुत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड कि मात्रा को समस्या कह सकते है। जो वायुमंडल के एक लेयर मे काम करती है, ये गर्मी को अपने मे समा लेती है और ग्रह को गर्म करती रहती है। हम उर्जा के लिए जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल करते है और कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसी पदार्थ को जलाते है और जलाने के बाद जितने भी कार्बन बनते है सभी वायुमंडल मे जाकर जमा हो जाते है।

Global Warming

अगर बात रिकॉर्ड कि करें तो पिछले 50 वर्ष मे इतिहास के सबसे तेज दर से इसका तापमान बढा है, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है और मानना दोनो ही है। भारत के जलवायु मे तेजी से होते हुए परिवर्त्तन का कराण है पृथ्वी मे होने वाले छोटे वृध्दि जो गंभीर असर कर रही है। अगर आंकडो को देखे तो पिछले शाताब्दी मे पृथ्वी का औसत तापमान करीब 1.4 डिग्री फारेनहाइट रहा था, आने वाले अगले कुछ साल मे इसका औसत तापमान करीब 11.5 डिग्री फारेनहाइट बढने कि उम्मीद है। अब आपको बात मुद्दे कि समझाते है, अत्यधिक गर्मी के बढने से और जलवायु परिवर्त्तन के कारम से ध्रुविय बर्फ पिघलता जा रहा है। जिससे समुद्री स्तर बढती जा रही है और समुद्री स्तर के बढने से अधिक तुफान मतलब अधिक क्षति मे योगदान। जो बिलकुल भी सहनीय नही है और अभी के समय मे अम्फान तुफान ने कुछ ऐसा ही कर रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के कारण

Global Warming

  • यह मानव गतिविधियों द्वारा उत्पादित वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के संचय के कारण हो रहा है। हांलाकी इसके एक ही कारण नही है और भी की तरह के दिक्कत है जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बना हुआ है।
  • सूर्य के तेज किरण भी इसका सबसे बडा कारण है, सूर्य से आने वाली रेडिएशन मुख्य रुप से विजीबल लाइट और पास कि वेवलेंथ के रुप मे होती है। जो कि करीब 0.2 मीटर से लेकर करीब 41 मीटर कि दुरी पर होती है।
  • सूर्य की ऊर्जा का लगभग 50% पृथ्वी की सतह के द्वारा समावेश हो जाता है और बचे हुए वातावरण के द्वारा प्रतिबिंबित या सोख लेता है।
  • जो उर्जा पृथ्वी मे समावेश होती है वो पृथ्वी के सतह को गर्म करती है, ये बात हम सभी ने गौर किया होगा सूर्य के उगने पर घरती गर्म हो जाती है। इसका सिधा नुकसान ग्रीनहाउस मॉडल पर होता है, गर्मी को थर्मल विकिरण के रुप को दिया जाता है। गर्म होने से सतह का नजदीक वातावरण काफी हद तक थर्मल विकिरण के लिए ओपेक हो जाता है।   
  • जल वाष्प, एक महत्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैस की घटती कंसंट्रेशन की वजह से रेडिएटिव ऊर्जा का नुकसान बड़े पैमाने पर वातावरण में अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के प्रभाव

बिलकुल एक नही काफी सारी दिक्कते हो सकती है आने वाले साल मे इसके वजह से शायद पृथ्वी पर जींदगी ही संभव ना हो।

Global Warming

  • तापमान मे बढोतरी

ऐसा माना जा रहा है या ये कहे कि अनुमान लगाया जा रहा है की यदि वर्तमान दर पर ग्रीनहाउस गैसों का इनपुट जारी रहता है तो पृथ्वी का औसत तापमान 2050 तक 1.5 से 5.5 डिग्री सेल्सियस के बीच बढ़ जाएगा। यहां तक की पृथ्वी 10,000 साल तक इतनी गर्म हो जाएगी की यहां जीवन संभव नही होगा।

  • समुद्र के पानी के स्तर में वृद्धि
    इसके बारे मे हमने आपको उपर भी बताया था कि जिस तेजी वातावरण गर्म होता जा रहा है, इससे जल्द ही समुद्र के स्तर मे बढोतरी होगी। 3 डिग्री सेलसियस के औसत मे वायुमंडलीय वातावरण का तापमान बढता जा रहै है, जिससे अगले 50-100 वर्षो मे समुद्र का औसत स्तर 0.2-1.5 मीटर तक बढने का आसार है।
  • मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
    बिलकुल जो चिज प्राकृतिक तक के लिए श्राप है वो मानव शरीर पर प्रभाव नही डालेगी ऐसा तो हो ही नही सकता। मानव शरीर पर इसका प्रभाव मलेरिया, फिलीरियासिस जैसे बीमारियो का हो सकता है।
  • कृषि पर प्रभाव
    कृषि पर भी इसका खासा रहने वाला है, जिस हिसाब से अभी साल गुजरे है जहां बारिश तक के लिए सोचना पड रहा है जहां ग्लोबल वार्मिंग का स्तर बढ जाने के बाद ये किस हद तक कृषि को प्रभावित करेगा।

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) नियंत्रण के उपाय

बिलकुल इसका उपाय तो करना पडेगा वरना हर बार सिर्फ मरने का तरीका बदलेगा मरने वालो कि संख्या नही, मतलब जब इससे जींदगी संभव ही नही होगी हम जीयेंगे कैसे।

  • ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को रोकने के लिए हमे कुछ ज्यादा बडा नही करना है, हम सभी अपने पर्यावरण को बचाने के लिए हर साल कि तरह एक पेड-पौधा लगाना होगा। पेड-पौधे होने के काफी सारे फायदे है, इसमे ये ग्रीन हाउस के प्रभाव कम करके ग्लोबल वार्मिंग को करने मे मदद करता है।
  • जैसा कि हमने आपको पहले हि बताया है कि ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए हमे कुछ ज्यादा नही करना है, हम उर्जा बचाने के साथ-साथ कार्बन डाइऑक्साइड को उत्पन्न होने से रोकेंगे। हमे अपने घर मे सीएफएल लाइट का इस्तेमाल करना है, आम बल्ब के मुकाबले ये रौशनी भी ज्यादा प्रदान करती है और कार्बन डाइऑक्साइड भी कम उत्पन्न होता है।
  • वाहन कार्बन डाइऑक्साइड को बढावा देने वाला सबसे अस्त्र है, जितने वाहन सडको पर चलते है सभी वाहन कार्बन डाइऑक्साइड सही मात्रा मे उत्पन्न करती है। अगर हम वाहन को कम कर दें तो हम काफी हद तक कार्बन डाइऑक्साइड को वातावरण मे कम कर सकेंगे।

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