पिता एक जिम्मेदारी और एक सम्मान, दोनो ही शब्द एक पिता कि जिंदगी को परिभाषित करते है। हम सभी ने पिता को लेकर काफी कुछ पढा और जानने कि कोशीश कि है, एक पिता होने का मतलब होता है एक सम्मान कि बात होना क्योकि आज के जमाने कोई बाप अपनी बेटी को पाल ले तो बहुत बडी उपलब्धी तरह होता है। एक पिता होना बहुत बडी जिम्मेदारी होती है, एक पिता जिसपर घर से लेकर बच्चो को बढाने तक कि जिम्मेदारी और दिन शुरु होने से लेकर दिन ढलने तक कि घर पर होने वाले हर जरुरी काम मे पिता आगे होता है। पिता कि तुलना किसी तरह से किसी भी भगवान से नही किया जा सकता है और एक पिता अपने बच्चो के लिए हर वो काम करता है जिससे उसके बच्चे एक बेहतर इंसान बने और आगे चलकर वो एक बेहतर जिंदगी जि सके। एक पिता अपने बच्चे का घमंड होता है और एक बच्चा अपने जिंदगी मे अपने पिता से बहुत कुछ सिखता भी है।
कहा ये भी जाता है कि एक पिता परमात्मा का दूसरा रुप होता है और ये बात सच भी है एक पिता अपने बच्चो के लिए वो सबकुछ करता है जिससे बच्चा खुश हो। ऐसा अक्सर देख जाता है कि एक पिता अपने बच्चे मे अपना बचपन देखता है और एक पिता अपना बच्चे के प्रति अपना पुरा देने का प्रयास करता है जिसकी उसे बचपन मे कमी हुयी थी।
दुनिया भर मे हर साल 16 जून को Father’s day मनाया जाता है, Father’s day का मतलब आप सभी समझ ही रहे होंगे। ऐसा इसलिए क्योकि आज के समय मे बच्चो के पास Father के समय कहां है, फरवरी माह 7 से लेकर 14 तक हरेक दिन याद होते है और यहां तक की लोगो को राष्ट्रीय छुट्टी याद रहती है लेकिन Father’s day के बारे मे बहुत ही लोगो को जानकरी होगी। साल 1910 मे 19 जून को इस दिवस कि शुरुआत हुयी थी लेकिन साल 1972 मे इसे अधिकारीक तौर पर मनाया जाने लगा, हां इस दिन अपने पिता के साथ बच्चे समय बिताते है और अपने पिता को गिफ्ट भी देते है।
जैसा कि आज कि दुनिया को हरेक चिज के पिछे तर्क जानना होता है, Father’s day के पिछे भी एक कहानी है। ऐसा कहा जाता है कि साल 1910 मे 19 जून को वाशिंगटन शहर मे पहली बार Father’s day मनाया गया था, Father’s day को मनाने के पिछे सोनेरा डोड कि एक कहानी है। कहा जाता है कि सोनेरा डोड एक बच्ची का नाम है जिसकी मां उसे बचपन मे ही छोडकर स्वर्ग सिधार गयी थी और फिर सोनेरा कि जिम्मेदारी उसके पिता विलियम स्मार्ट पर आ गयी। सोनेरा कि पिता विलियम स्मार्ट ने अपनी बच्ची का खुब ख्याल रखा और बहुत ही अच्छे से पाला, ऐसा समझ लिजीए कि सोनेरा कि पिता ने उसे मां कि कमी खलने नही दि।
साल 1909 मे एक चर्च मे मदर्स डे के उपर उपदेश दिया जा रहा था, जिसके बाद चर्च मे बैठी सोनेरा को लगा कि जब मदर्स डे मनाया जा सकता है तो फादर्स डे क्यो नही। इसी सोच ने लोगो के समझ और सोच का बदला और Father’s day पर मंथन करने के बारे मे सोचा, इसके बाद साल 1910 मे 19 जून को पहली बार Father’s day मनाया गया और तभी से हुरे दुनिया मे Father’s day कि शुरुआत हो गयी।