भारत देश मे विविधताओं कोई कमी नही है और इसी चिज से भारत देश अन्य से अलग है, यहां हर दिशा मे 30 किमी पर एक अलग तरह कि भाषा और एक अलग तरह कि संस्कृति देखने के लिए मिलती है। भारत देश मे विविधताओं के बढने से देश मे अलग-अलग तरह का त्यौहार भी मनाया जाता ही होगा, देश के हरके कोने मे अलग-अलग तरह के त्यौहार मनाया जाता है और कुछ त्यौहार पुरा देश मनाता है। इन सभी त्योहारो मे से एक है दीवाली का त्यौहार या कहें कि रोशनी का पर्व, इसी दिन पुरा भारत देश रोशनी से जगमगाता है और नासा इसकी फोटो वायरल करता है।
साल भर मे एक बार आने वाला दीपो का त्यौहार पुरे भारत देश मे धुम-धाम से मनाते है, जैसा कि हिंदुत्व मे हर काम के पिछे तर्क रहता है या ये कहें कि कहानी रहता है। दिवाली भी इसलिए मनायी जाती है क्योकि त्रेता युग मे भगवान राम अपने 14 वर्ष के वनवास से आयोध्या आये थे और पुरे आयोध्या मे इस दिन घी के दिये जलाये गये थे। तब से लेकर आजतक हर साल लोग इसी तरह से दीवाली मनाते आ रहे है, दीवाली त्यौहार को प्रेरणा का स्त्रोत है और इस त्यौहार का मतलब है तमसो मा ज्योतिर्गमय(मुझे अंधकार से प्रकाश कि ओर लेकर चलो) अंधकार पर प्रकाश कि जीत।
जिस तरह से क्रिस्चिन के लिए क्रिसमस का त्यौहार है ठीक उसी तरह से हिंदुओ के लिए दीवाली का त्योहरा है, दीवाली के दिन पुरा देश रोशनी से चमक रहा होता है। हर तरफ दीप जगमगा रहा होता है, कोई पटाके मे लगा हुआ है, की अपने घर को चमकाता है। कहते है कि इस दिन हर किसी के घर लक्ष्मी जी आती है और लक्ष्मी जी धन कि देवी है मतलब धन का प्रवेश होता है। बढते समय के साथ दीवाली त्यौहार पर कुछ चिजो पर प्रतिबंध लगता आया है, जैसे भारत के शहरो मे पटाको पर प्रतिबंध लगा हुआ है इस शहर मे प्रदुषण ज्यादा होने से पटाके का इस्तेमाल प्रतिबंधित है। आज से कुछ समय पहले ही दिल्ली शहर मे दीवाली के रात मे पटाको का ऐसा जलवा बिखेरा गयी था कि अगले दो नो तक पुरे शहर मे धुआं बरकरार रहा था। दो दिनो तक दिल्ली शहर मे जहरीलि धुआं हवाओ मे मिलकर घुम रही थी, लोगो को कुछ भी दिख नही रहा था।
देश भर मे दीवाली के अवसर पर हरेक स्कुल, कॉलेज, सरकारी और गैर सरकारी दफ्तर मे छुट्टी रहती है, दीवाली का त्यौहार भारत में एक प्रमुख खरीदारी की अवधि का प्रतीक है। उपभोक्ता खरीद और आर्थिक गतिविधियों के संदर्भ में दीवाली, पश्चिम में क्रिसमस के बराबर है। यह पर्व नए कपड़े, घर के सामान, उपहार, सोने और अन्य बड़ी ख़रीददारी का समय होता है। इस त्योहार पर खर्च और ख़रीद को शुभ माना जाता है क्योंकि लक्ष्मी को, धन, समृद्धि, और निवेश की देवी माना जाता है। दीवाली भारत में सोने और गहने की ख़रीद का सबसे बड़ा सीज़न है।
भारत देस मे कुछ शहरो मे दीवाली को एक अलग स्तर पर पहुंच दिया है, इन जगहो कि बात करे तो इन जगहो पर दीवाली आयोध्या कि तरह ही मनाया जाता है।
वाराणसी- वाराणसी में दिवाली बेहद अद्भुत तरीके से मनाई जाती है और दीपावली के दिन भी दियों की श्रंखला लगाई जाती है, जो देखने में बेहद खूबसूरत लगती है। पूरे शहर के 100 से भी ज्यादा घाटों पर जब दीपों को सजाया जाता है तो ये दृश्य देखने में बेहद सुंदर लगता है।
अमृतस- अमृतसर में दिवाली के दिन एक साथ दो त्योहार मनाए जाते है, इसलिए इस दिन स्वर्ण मंदिर की आभा देखते ही बनती है। सिखों में दिवाली के दिन ही बंदी छोड़ दिवस मनाया जाता है जो सिख गुरु हरगोबिंद सिंह के घर आने की खुशी मे मनाया जाता है।
उदयपुर- अगर मौका मिले तो उदयपुर की दिवाली देखने भी जा सकते हैं। झीलों की नगरी में जब पूरे जगमगाते शहर का प्रतिबिंब पड़ता है तो देखने में नजारा बहुत अद्भुत लगता है।